उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद में संवाद की महत्ता पर जोर दिया
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने महाराष्ट्र विधानमंडल को संबोधित करते हुए संसद में शिष्टाचार बनाए रखने की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सांसदों को हमेशा संवाद और चर्चा में विश्वास रखना चाहिए और अन्य दृष्टिकोणों के प्रति खुले रहना चाहिए। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि बहस और संवाद संसद में व्यवधान और ठहराव का कारण नहीं बनना चाहिए।
धनखड़ ने कहा कि भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, को लोकतांत्रिक मूल्यों और नैतिकता का आदर्श होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद और राज्य विधानसभाएं लोकतंत्र का ‘ध्रुव तारा’ हैं, और सदस्यों को नैतिक आचरण और पारदर्शिता का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र की ताकत विभिन्न विचारों की विविधता और रचनात्मक संवाद के माध्यम से सामान्य आधार खोजने की क्षमता में निहित है। धनखड़ ने संसद को ठप करने के नकारात्मक परिणामों के खिलाफ चेतावनी दी और लोकतांत्रिक मूल्यों और संसदीय परंपराओं का सख्ती से पालन करने का आह्वान किया।
धनखड़ ने अध्यक्ष या स्पीकर की आलोचना पर भी चिंता जताई और कहा कि अध्यक्ष के प्रति सम्मान हमेशा बनाए रखना चाहिए। उन्होंने संसद और विधानमंडल के वरिष्ठ सदस्यों से उदाहरण प्रस्तुत करने का आग्रह किया।