दिल्ली हाई कोर्ट ने बिभव कुमार की गिरफ्तारी याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

दिल्ली हाई कोर्ट ने बिभव कुमार की गिरफ्तारी याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

दिल्ली हाई कोर्ट ने बिभव कुमार की गिरफ्तारी याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

दिल्ली हाई कोर्ट ने बिभव कुमार, जो अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी हैं, की गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया।

बिभव कुमार के वकील की दलीलें

बिभव कुमार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने तर्क दिया कि एफआईआर तीन दिन देर से दर्ज की गई थी और कुमार को बिना उचित नोटिस के गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने दावा किया कि कुमार जांच में सहयोग करने के लिए तैयार थे और उनकी गिरफ्तारी धारा 41ए का उल्लंघन करती है, जो बिना वारंट के गिरफ्तारी से पहले नोटिस जारी करने का प्रावधान करती है।

दिल्ली पुलिस की दलीलें

दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन ने तर्क दिया कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ के कारण गिरफ्तारी उचित थी। उन्होंने कहा कि कुमार ने अपने मोबाइल फोन को फॉर्मेट कर दिया था और वीडियो रिकॉर्डिंग गायब थीं। जैन ने यह भी उल्लेख किया कि कुमार की गिरफ्तारी जल्दबाजी में नहीं की गई थी और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था।

पृष्ठभूमि

बिभव कुमार को 18 मई को राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के हमले के मामले में दर्ज एफआईआर के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। कुमार की याचिका में उनकी कथित अवैध गिरफ्तारी के लिए मुआवजे और शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई है।

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