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महाकालेश्वर मंदिर में दिवाली पर विशेष आरती और अनोखे अनुष्ठान

महाकालेश्वर मंदिर में दिवाली पर विशेष आरती और अनोखे अनुष्ठान

महाकालेश्वर मंदिर में दिवाली उत्सव

बाबा महाकाल के लिए विशेष आरती

उज्जैन, मध्य प्रदेश के महाकालेश्वर मंदिर में दिवाली का उत्सव विशेष दिव्य दीप आरती और भस्म आरती के साथ मनाया गया। यह आयोजन गुरुवार को हुआ, जिसमें भक्तों ने प्रार्थना की और अनुष्ठानों में भाग लिया।

अनोखे अनुष्ठान और भेंट

भस्म आरती, जो एक प्रसिद्ध अनुष्ठान है, ब्रह्म मुहूर्त के दौरान सुबह 3:30 से 5:30 बजे के बीच की जाती है। माना जाता है कि इसमें भाग लेने वालों की इच्छाएं पूरी होती हैं। पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि दिवाली उत्सव में पंचामृत, जो दूध, दही, घी, चीनी और शहद का मिश्रण है, और फलों के रस से भगवान महाकाल का पवित्र स्नान कराया गया। पुजारी के परिवार की महिलाओं ने बाबा महाकाल को उबटन लगाया।

पारंपरिक उत्सव

बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार किया गया, जिसके बाद चिंगारी के साथ आरती की गई। महिलाओं ने विशेष कपूर आरती की, जो इस अवसर के लिए अनोखी है। नए फसल के अनाज से बने व्यंजन देवता को अर्पित किए गए। एक पूर्व घटना के कारण कई पटाखों और चिंगारियों के उपयोग पर प्रतिबंध था, लेकिन परंपरा को बनाए रखने के लिए एक चिंगारी जलाई गई।

Doubts Revealed


महाकालेश्वर मंदिर -: महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो उज्जैन, मध्य प्रदेश, भारत में स्थित है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिन्हें भगवान शिव के सबसे पवित्र निवास स्थान माना जाता है।

दिवाली -: दिवाली, जिसे प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है, भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, और लोग इसे दीप जलाकर, पटाखे फोड़कर, और मिठाइयाँ बाँटकर मनाते हैं।

बाबा महाकाल -: बाबा महाकाल भगवान शिव का एक अन्य नाम है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। महाकालेश्वर मंदिर के संदर्भ में, यह वहाँ पूजे जाने वाले देवता को संदर्भित करता है।

दिव्य दीप आरती -: दिव्य दीप आरती एक विशेष अनुष्ठान है जिसमें दीप जलाकर देवता को अर्पित किया जाता है। यह आशीर्वाद प्राप्त करने और भक्ति व्यक्त करने के लिए किया जाता है।

भस्म आरती -: भस्म आरती महाकालेश्वर मंदिर में किया जाने वाला एक अनूठा अनुष्ठान है, जिसमें भगवान शिव की पूजा में पवित्र भस्म (भस्म) का उपयोग किया जाता है। यह सुबह के शुरुआती घंटों में किया जाता है और इसे बहुत शुभ माना जाता है।

ब्रह्म मुहूर्त -: ब्रह्म मुहूर्त वह समय होता है जो सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पहले होता है। इसे हिंदू धर्म में ध्यान और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए आदर्श समय माना जाता है।

पंचामृत -: पंचामृत एक पवित्र मिश्रण है जो हिंदू अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है, जो पाँच सामग्रियों से बना होता है: दूध, दही, घी, शहद, और चीनी। इसे पूजा के दौरान देवताओं के स्नान के लिए उपयोग किया जाता है।

दिव्य श्रृंगार -: दिव्य श्रृंगार एक अनुष्ठान के दौरान फूलों, वस्त्रों, और आभूषणों से देवता की विशेष सजावट और अलंकरण को संदर्भित करता है। यह देवता को सम्मानित और सुंदर बनाने के लिए किया जाता है।

कपूर आरती -: कपूर आरती एक अनुष्ठान है जिसमें कपूर जलाकर देवता को अर्पित किया जाता है। कपूर अपनी सुगंध के लिए जाना जाता है और इसे वातावरण को शुद्ध करने वाला माना जाता है।

फुलझड़ी -: फुलझड़ी एक प्रकार की आतिशबाजी है जो जलने पर चमकीली, चमकदार रोशनी उत्पन्न करती है। इसे अक्सर दिवाली जैसे उत्सवों के दौरान उपयोग किया जाता है, लेकिन इस मामले में, परंपरा बनाए रखने के लिए केवल एक का उपयोग किया गया था जबकि कई पटाखों पर प्रतिबंध का सम्मान किया गया।
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