भारत की बड़ी योजना: 2047 तक डिजिटल ट्विन तकनीक से बुनियादी ढांचे में बदलाव

भारत की बड़ी योजना: 2047 तक डिजिटल ट्विन तकनीक से बुनियादी ढांचे में बदलाव

भारत की बड़ी योजना: 2047 तक डिजिटल ट्विन तकनीक से बुनियादी ढांचे में बदलाव

भारत 2047 तक 40 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, और इस परिवर्तन में उन्नत तकनीकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। GeoSpatial World के एक नए अध्ययन में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल ट्विन नीति की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

डिजिटल ट्विन तकनीक क्या है?

डिजिटल ट्विन तकनीक में भौतिक संपत्तियों, प्रक्रियाओं और प्रणालियों के वास्तविक समय के डिजिटल मॉडल बनाना शामिल है। इस तकनीक में भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS), भवन सूचना मॉडलिंग (BIM), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसे उपकरणों का एकीकरण होता है।

यह क्यों महत्वपूर्ण है?

GeoSpatial World के सीईओ संजय कुमार ने कहा कि भारत की बढ़ती बुनियादी ढांचा मांगों को प्रबंधित करने के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल ट्विन नीति आवश्यक है। यह नीति बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की योजना बनाने, निष्पादित करने और बनाए रखने में मदद करेगी, जिससे वे अधिक लचीले और टिकाऊ बनेंगे।

विशेषज्ञों की राय

संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय के कमल किशोर ने बताया कि लचीला बुनियादी ढांचा आर्थिक विकास और सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण है। सामाजिक न्याय मंत्रालय के अमित घोष ने एकीकृत बुनियादी ढांचा विकास रणनीति की आवश्यकता पर जोर दिया।

आर्थिक प्रभाव

2023 में, भारत का बुनियादी ढांचा बाजार 15.47 लाख करोड़ रुपये का था। भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए, भारत को 2040 तक 374 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की आवश्यकता होगी। 2023-24 के केंद्रीय बजट में बुनियादी ढांचे के लिए 10 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 33% की वृद्धि है।

डिजिटल ट्विन तकनीक के लाभ

अध्ययन में डिजिटल ट्विन तकनीक के कई लाभों को रेखांकित किया गया है, जिसमें बेहतर योजना और डिजाइन, उत्पादन आउटपुट में वृद्धि, और बेहतर संपत्ति प्रबंधन शामिल हैं। यह तकनीक स्थिरता और आर्थिक दक्षता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

भविष्य की संभावनाएं

राष्ट्रीय डिजिटल ट्विन नीति का उद्देश्य भारत में बुनियादी ढांचा प्रबंधन के लिए नए मानक स्थापित करना है। इस तकनीक को अपनाकर, भारत नवाचारी, कुशल और टिकाऊ बुनियादी ढांचा विकास में अग्रणी बन सकता है।

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