गंगा नदी में प्लास्टिक प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी

गंगा नदी में प्लास्टिक प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी

गंगा नदी में प्लास्टिक प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने प्लास्टिक प्रदूषण के कारण हो रहे गंभीर पर्यावरणीय क्षरण पर चिंता जताई है, जो देश की नदियों और जल निकायों में जलीय जीवन को भी प्रभावित कर रहा है। न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी ने पटना शहर में गंगा नदी के पास अवैध निर्माण और अनधिकृत अतिक्रमण के मुद्दों को संबोधित करते हुए ये टिप्पणियां कीं।

कोर्ट ने नोट किया कि उन क्षेत्रों में प्लास्टिक का उपयोग व्यापक है जिन्हें प्रदूषण मुक्त रखा जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अधिकारियों और जनता के सहयोग के बिना, गंगा और अन्य नदियों के जल की गुणवत्ता में सुधार एक दूर का लक्ष्य बना रहेगा।

कोर्ट ने केंद्र से चार सप्ताह के भीतर पर्यावरणीय चिंताओं को संबोधित करने के लिए एक हलफनामा मांगा है। यह मामला 2020 में पटना निवासी अशोक कुमार सिन्हा द्वारा दायर एक अपील से उत्पन्न हुआ, जिन्होंने गंगा नदी के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील बाढ़ के मैदानों पर बिहार सरकार द्वारा 1.5 किमी सड़क सहित अवैध निर्माणों को उजागर किया।

अपीलकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने बताया कि ये अवैध निर्माण उपमहाद्वीप के सबसे समृद्ध डॉल्फिन आवासों में से एक को खतरे में डाल रहे हैं। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने सभी गंगा बेसिन राज्यों से उनके बाढ़ के मैदानों पर अवैध निर्माणों की पहचान करने और उन्हें हटाने के लिए कहा है।

अधिवक्ता अजमत हयात अमानुल्लाह ने बिहार राज्य का प्रतिनिधित्व किया, जबकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने भारत संघ और एनएमसीजी के लिए पेश किया।

Doubts Revealed


भारत का सर्वोच्च न्यायालय -: भारत का सर्वोच्च न्यायालय देश का सबसे उच्च न्यायालय है। यह कानूनों और न्याय के बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लेता है।

प्लास्टिक प्रदूषण -: प्लास्टिक प्रदूषण का मतलब हानिकारक प्लास्टिक कचरा है, जैसे बोतलें और थैलियाँ, जो नदियों और महासागरों में पहुँचकर जानवरों और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती हैं।

गंगा नदी -: गंगा नदी भारत में एक बहुत महत्वपूर्ण और पवित्र नदी है। कई लोग इसके पानी पर निर्भर हैं, और इसे धार्मिक समारोहों में भी उपयोग किया जाता है।

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी -: न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश हैं। वे महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय लेने में मदद करते हैं।

पर्यावरणीय क्षरण -: पर्यावरणीय क्षरण का मतलब है कि पर्यावरण खराब हो रहा है, अक्सर प्रदूषण या अन्य हानिकारक गतिविधियों के कारण।

जलीय जीवन -: जलीय जीवन में सभी जानवर और पौधे शामिल हैं जो पानी में रहते हैं, जैसे मछलियाँ, कछुए, और समुद्री शैवाल।

अवैध निर्माण -: अवैध निर्माण वे इमारतें या संरचनाएँ हैं जो सरकार की अनुमति के बिना बनाई जाती हैं। ये पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकती हैं और कानूनों का उल्लंघन करती हैं।

पटना -: पटना भारत के बिहार राज्य का एक बड़ा शहर है। यह गंगा नदी के पास स्थित है।

केंद्र -: इस संदर्भ में, ‘केंद्र’ का मतलब भारत की केंद्रीय सरकार है, जो पूरे देश के लिए जिम्मेदार है।

बाढ़ के मैदान -: बाढ़ के मैदान वे समतल क्षेत्र हैं जो नदियों के पास होते हैं और जब नदी का पानी बढ़ता है तो बाढ़ आ सकती है। ये पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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