विजय वडेट्टीवार ने महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक, 2024 की आलोचना की
मुंबई (महाराष्ट्र) [भारत], 15 जुलाई: महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने हाल ही में पेश किए गए महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक, 2024 का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि यह विधेयक शहरी नक्सलियों पर लगाम लगाने के बहाने विपक्ष और आम जनता को दबाने का प्रयास है।
विधेयक के मुख्य प्रावधान
यह विधेयक एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा 11 जुलाई को विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान पेश किया गया था। इसमें प्रावधान है कि जो लोग सरकारी नीतियों के खिलाफ बोलते हैं, उन्हें दो साल तक की सजा हो सकती है। वडेट्टीवार ने कहा, “ये लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने वाला है।”
यह विधेयक केंद्रीय सरकार द्वारा बनाए गए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत लाया गया है। यह महाराष्ट्र सरकार को किसी भी समूह को सरकारी गजट में अधिसूचना द्वारा अवैध संगठन घोषित करने की अनुमति देता है। ‘संगठन’ का मतलब किसी भी समूह या निकाय से है, चाहे उसका नाम हो या न हो, और चाहे वह संविधान द्वारा शासित हो या न हो।
विपक्ष का रुख
वडेट्टीवार ने जोर देकर कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य विपक्षी नेताओं को चुप कराना और उन्हें सरकार की आलोचना करने से रोकना है। उन्होंने कहा, “ये लोकतंत्र का गला दबाने जैसा है।” उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष इस विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन करेगा, “हम विरोध करेंगे, और हम चुप नहीं बैठेंगे। अगर यह इस तरह से विरोधियों का गला घोंटना चाहता है, तो लोग ऐसी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे और कभी सत्ता में नहीं लाएंगे।”
उठाई गई चिंताएं
इस विधेयक की आलोचना ‘कठोर’ होने के कारण की गई है। इसमें ‘गैरकानूनी गतिविधि’ को किसी भी ऐसे कार्य के रूप में परिभाषित किया गया है जो सार्वजनिक व्यवस्था, शांति और शांति के लिए खतरा पैदा करता है, या कानून के प्रशासन में हस्तक्षेप करता है। इसमें हिंसा, तोड़फोड़, या स्थापित कानून की अवज्ञा को प्रोत्साहित करने वाले कार्य भी शामिल हैं। अपराधियों को तीन साल तक की सजा और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
सरकार का औचित्य
दूसरी ओर, महाराष्ट्र के एंटी-नक्सल ऑपरेशंस के महानिरीक्षक संदीप पाटिल ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य गैरकानूनी संगठनों की गतिविधियों पर लगाम लगाना है। उन्होंने उल्लेख किया कि महाराष्ट्र पुलिस और गढ़चिरौली पुलिस जंगल माओवादियों को नियंत्रित करने में सफल रही है।
महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार को इस विधेयक के पारित हुए बिना समाप्त हो गया।