भारतीय शादियों में बढ़ते खर्च और ऊंची ब्याज दरों का असर

भारतीय शादियों में बढ़ते खर्च और ऊंची ब्याज दरों का असर

भारतीय शादियों में बढ़ते खर्च और ऊंची ब्याज दरों का असर

भारत में शादियों पर खर्च बढ़ रहा है, जिससे शादी के लिए लिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें भी बढ़ रही हैं, जो प्रति वर्ष 10% से 36% तक हो सकती हैं। Jefferies की रिपोर्ट के अनुसार, 2018-2019 में 20-30 वर्ष के युवाओं द्वारा 20% शादी के लोन के आवेदन किए गए थे।

पारंपरिक रूप से, शादी के खर्च परिवार की बचत और रिश्तेदारों से उधार लेकर पूरे किए जाते थे। लेकिन अब आधुनिक जोड़े बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) से लोन ले रहे हैं। बैंकों की ब्याज दरें आमतौर पर NBFCs की तुलना में कम होती हैं, क्योंकि NBFCs की फंडिंग लागत अधिक होती है और वे अक्सर कमजोर क्रेडिट प्रोफाइल वाले ग्राहकों से डील करते हैं।

यह प्रवृत्ति बदलते सामाजिक मानदंडों और युवाओं की बढ़ती वित्तीय स्वतंत्रता को दर्शाती है। शादी उद्योग ऑटोमोटिव, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और होम इम्प्रूवमेंट जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मांग को भी बढ़ावा देता है। परिवार अक्सर शादी के मौसम में नई कारें, दोपहिया वाहन, उच्च-स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक्स खरीदते हैं और घरों का नवीनीकरण करते हैं, जिससे इन उद्योगों को लाभ होता है।

शादियों के महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव को देखते हुए, इन क्षेत्रों की कंपनियां शादी के रुझानों को बारीकी से ट्रैक करती हैं ताकि वे अपनी मार्केटिंग रणनीतियों और इन्वेंटरी प्रबंधन को संरेखित कर सकें, उत्पाद लॉन्च और प्रचार अभियानों की योजना बना सकें और मांग में वृद्धि का लाभ उठा सकें।

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