भारतीय शेयर बाजार में शुरुआती बढ़त के बावजूद गिरावट

भारतीय शेयर बाजार में शुरुआती बढ़त के बावजूद गिरावट

भारतीय शेयर बाजार में शुरुआती बढ़त के बावजूद गिरावट

मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार नकारात्मक क्षेत्र में बंद हुआ। बीएसई सेंसेक्स 34.73 अंक गिरकर 79,441.45 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 18.10 अंक गिरकर 24,123.85 पर बंद हुआ।

बाजार का प्रदर्शन

दिन की शुरुआत रिकॉर्ड ऊंचाई पर हुई थी। सेंसेक्स ने 79,856 का इंट्राडे उच्चतम स्तर छुआ और निफ्टी 24,236 तक पहुंचा। हालांकि, दिन भर विभिन्न सेक्टरों का प्रदर्शन मिला-जुला रहा।

सेक्टर हाइलाइट्स

विशेष रूप से, निफ्टी आईटी, निफ्टी रियल्टी, निफ्टी ऑयल और गैस, और निफ्टी पीएसयू बैंक सेक्टरों में बढ़त देखी गई। निफ्टी आईटी सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला सेक्टर रहा, जो सत्र के दौरान 1 प्रतिशत से अधिक बढ़ा। इसके विपरीत, निफ्टी हेल्थकेयर और निफ्टी ऑटो सेक्टर लाल निशान में बंद हुए।

बाजार की चौड़ाई

निफ्टी कंपनियों में 21 बढ़त और 28 गिरावट दर्ज की गई। शीर्ष बढ़त वाले शेयरों में एलटी, विप्रो, इंफोसिस, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और एचडीएफसी बैंक शामिल थे। वहीं, शीर्ष गिरावट वाले शेयरों में निफ्टी श्रीराम फाइनेंस, कोटक बैंक, भारती एयरटेल, टाटा मोटर्स और इंडसइंड बैंक शामिल थे।

विस्तृत बाजार सूचकांक

बीएसई मिडकैप इंडेक्स 0.8 प्रतिशत गिरा और स्मॉलकैप इंडेक्स 0.1 प्रतिशत फिसला। समग्र नकारात्मक रुझान के बावजूद, कुछ सेक्टर जैसे शुगर स्टॉक्स और पेपर स्टॉक्स ने दिन को सकारात्मक नोट पर समाप्त किया।

वैश्विक बाजार का प्रभाव

प्रॉफिट आइडिया के संस्थापक और प्रबंध निदेशक वरुण अग्रवाल ने बताया कि वैश्विक बाजारों में मिला-जुला रुझान देखा गया। चीनी शेयरों में गिरावट आई, जबकि हांगकांग के शेयरों में उछाल देखा गया। वैश्विक स्तर पर निवेशकों की भावना आर्थिक सुधार की संभावनाओं और आगामी नीति संकेतों को लेकर चिंतित रही।

सोने की कीमतें और निवेशक ध्यान

मंगलवार को अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण सोने की कीमतों में कमजोरी आई। निवेशक अब फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की टिप्पणियों और प्रमुख नौकरियों के आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं, जो भविष्य की ब्याज दर निर्णयों पर अंतर्दृष्टि प्रदान करेंगे।

मंगलवार के ट्रेडिंग सत्र ने विभिन्न आर्थिक और सेक्टोरल कारकों के प्रति बाजार की संवेदनशीलता को उजागर किया, जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर प्रभाव डालते हैं। निवेशक इन उतार-चढ़ावों के बीच व्यापक आर्थिक संकेतकों और वैश्विक बाजार रुझानों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

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