संसद में सेंगोल पर बहस: नेताओं ने रखी अपनी राय

संसद में सेंगोल पर बहस: नेताओं ने रखी अपनी राय

संसद में सेंगोल पर बहस: नेताओं ने रखी अपनी राय

भारतीय संसद में ‘सेंगोल’, जो एक पारंपरिक अधिकार का प्रतीक है, की स्थापना को लेकर गरमागरम बहस छिड़ गई है। समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने इसे राजशाही का प्रतीक बताते हुए इसे हटाने की मांग की ताकि लोकतंत्र की रक्षा हो सके। भाजपा नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने सेंगोल का बचाव करते हुए इसके सांस्कृतिक महत्व और संसदीय परंपराओं पर जोर दिया। सेंगोल को मई 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित किया गया था, जो एक ऐतिहासिक धरोहर है जिसे पहली बार 1947 में जवाहरलाल नेहरू ने स्वीकार किया था।

आरके चौधरी की टिप्पणी

समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने सेंगोल को राजशाही का प्रतीक बताते हुए इसे संविधान की रक्षा के लिए संसद से हटाने की मांग की।

भाजपा की प्रतिक्रिया

भाजपा नेता सीआर केसवन ने चौधरी की टिप्पणियों को अपमानजनक और लाखों भक्तों और संसद की पवित्रता के प्रति अनादरपूर्ण बताया। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सेंगोल की स्थापना के दौरान समाजवादी पार्टी के रुख पर सवाल उठाया। केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा ने संसदीय परंपराओं को समझने के महत्व पर जोर दिया।

अन्य राय

राजद सांसद मीसा भारती ने सुझाव दिया कि सेंगोल को एक संग्रहालय में रखा जाए, जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चौधरी का बचाव करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी प्रधानमंत्री को याद दिलाने के लिए थी।

ऐतिहासिक संदर्भ

28 मई 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा कक्ष में ऐतिहासिक सेंगोल की स्थापना की। यह सेंगोल पहले भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा 14 अगस्त 1947 की रात को स्वीकार किया गया था।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *