सुप्रीम कोर्ट का फैसला: 1998 के हत्या मामले में सुरजबान सिंह की बरी पर निर्णय

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: 1998 के हत्या मामले में सुरजबान सिंह की बरी पर निर्णय

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: 1998 के हत्या मामले में सुरजबान सिंह की बरी पर निर्णय

सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर अपना निर्णय सुनाने वाला है। यह अपीलें पूर्व सांसद सुरजबान सिंह और आठ अन्य को 1998 में बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में बरी करने के खिलाफ दायर की गई थीं।

न्यायाधीश शामिल

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर महादेवन की पीठ यह निर्णय सुनाएगी।

पृष्ठभूमि

22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिवंगत मंत्री की पत्नी रमा देवी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दायर अपीलों पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था। उन्होंने 2014 में पटना हाई कोर्ट द्वारा सबूतों की कमी के कारण आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती दी थी।

आरोपी और बरी

सात आरोपी, जिनमें पूर्व सांसद सुरजबान सिंह, पूर्व विधायक विजय उर्फ मुन्ना शुक्ला और राजन तिवारी शामिल हैं, को पटना हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था। ट्रायल कोर्ट ने 2009 में आठ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

Doubts Revealed


सुप्रीम कोर्ट -: सुप्रीम कोर्ट भारत का सबसे उच्च न्यायालय है। यह महत्वपूर्ण कानूनी मामलों पर अंतिम निर्णय लेता है।

पटना उच्च न्यायालय -: पटना उच्च न्यायालय बिहार राज्य का एक उच्च न्यायालय है। यह उस क्षेत्र में कानूनी मामलों को देखता है।

निर्दोषीकरण -: निर्दोषीकरण का मतलब है कि किसी को अदालत में अपराध का दोषी नहीं पाया गया।

सुरजबान सिंह -: सुरजबान सिंह भारत के पूर्व सांसद हैं। उन पर एक हत्या के मामले में आरोप लगाया गया था।

1998 हत्या मामला -: यह 1998 में हुई एक अपराध की घटना को संदर्भित करता है, जिसमें बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी गई थी।

न्यायाधीश -: न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट के जज होते हैं जो महत्वपूर्ण कानूनी निर्णय लेते हैं।

अपील -: अपील उच्च न्यायालय से निचली अदालत के निर्णय को बदलने के लिए की गई अनुरोध होती है।

रमा देवी -: रमा देवी दिवंगत मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी हैं। उन्होंने निर्दोषीकरण के खिलाफ अपील दायर की।

सीबीआई -: सीबीआई का मतलब सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन है। यह भारत की शीर्ष एजेंसी है जो गंभीर अपराधों की जांच करती है।

2014 निर्दोषीकरण -: 2014 में, पटना उच्च न्यायालय ने सुरजबान सिंह और अन्य को सबूतों की कमी के कारण दोषी नहीं पाया।

आजीवन कारावास -: आजीवन कारावास का मतलब है कि किसी को जीवन भर के लिए जेल भेज दिया जाता है।

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