Site icon रिवील इंसाइड

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: मुस्लिम महिलाएं भी मांग सकती हैं भरण-पोषण

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: मुस्लिम महिलाएं भी मांग सकती हैं भरण-पोषण

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: मुस्लिम महिलाएं भी मांग सकती हैं भरण-पोषण

NCW प्रमुख रेखा शर्मा ने फैसले की सराहना की

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं भी 1973 के दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का दावा कर सकती हैं। इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने किया, जिन्होंने इसे सभी महिलाओं के लिए लैंगिक समानता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

रेखा शर्मा ने कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले का तहे दिल से स्वागत करती हूं, जो मुस्लिम महिलाओं के भरण-पोषण के अधिकार को धारा 125 CrPC के तहत मान्यता देता है। यह फैसला सभी महिलाओं के लिए लैंगिक समानता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि कोई भी महिला कानून के तहत समर्थन और सुरक्षा के बिना नहीं रहनी चाहिए। अदालत ने गृहिणियों के लिए वित्तीय समर्थन के महत्व को भी रेखांकित किया, उनके भारतीय परिवारों में भूमिका और बलिदान को मान्यता दी।

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने फैसला सुनाया कि धारा 125 CrPC, जो पत्नी के कानूनी भरण-पोषण के अधिकार से संबंधित है, सभी महिलाओं पर लागू होती है, जिसमें तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं भी शामिल हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि मुस्लिम महिलाओं के पास विशेष विवाह अधिनियम और 1986 अधिनियम दोनों के तहत उपायों की मांग करने का विकल्प है।

यह फैसला तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली अपील के बाद आया, जिसमें अंतरिम भरण-पोषण को 20,000 रुपये से घटाकर 10,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया था।

Exit mobile version