बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे पोर्श दुर्घटना मामले में नाबालिग को रिहा करने का आदेश दिया

बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे पोर्श दुर्घटना मामले में नाबालिग को रिहा करने का आदेश दिया

बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे पोर्श दुर्घटना मामले में नाबालिग को रिहा करने का आदेश दिया

बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के पुणे में एक दुखद कार दुर्घटना में शामिल नाबालिग को रिहा करने का आदेश दिया है। यह दुर्घटना 19 मई को हुई थी, जिसमें दो आईटी पेशेवरों की मौत हो गई थी। नाबालिग, जो कथित तौर पर पोर्श चला रहा था, को पहले एक अवलोकन गृह में रखा गया था।

हाई कोर्ट का निर्णय

25 जून को, कोर्ट ने नाबालिग को जमानत दी और उसे उसके पितृ पक्ष की चाची की देखभाल में रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने पाया कि किशोर न्याय बोर्ड (JJB) के रिमांड आदेश अवैध थे। जस्टिस भारती डांगरे और मंजुषा देशपांडे ने जोर देकर कहा कि नाबालिग को मनोवैज्ञानिक के साथ सत्र जारी रखना चाहिए।

कानूनी तर्क

नाबालिग के वकील प्रशांत पाटिल ने तर्क दिया कि JJB की हिरासत अवैध थी। उन्होंने बताया कि नाबालिग की पितृ पक्ष की चाची द्वारा हैबियस कॉर्पस की याचिका दायर की गई थी, और हाई कोर्ट ने JJB के आदेशों को रद्द कर दिया, जिससे नाबालिग की रिहाई हुई।

सरकार की प्रतिक्रिया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मृतकों के माता-पिता से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि दोषियों को सजा दी जाएगी। उन्होंने पीड़ितों के परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की भी घोषणा की और पुणे में अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया।

परिवार की भागीदारी

नाबालिग के पिता, विशाल अग्रवाल, को 21 जून को जमानत दी गई थी, जबकि उसके दादा अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं। परिवार पर सबूतों में हेरफेर करने और परिवार के ड्राइवर को दुर्घटना की जिम्मेदारी लेने के लिए मजबूर करने का आरोप है।

निष्कर्ष

मामला अभी भी जारी है, और सरकार और कानूनी अधिकारी पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।

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