ओम बिड़ला फिर से चुने गए 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष
ओम बिड़ला को 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया है। उन्होंने सभी सदस्यों से गरिमामय चर्चाओं में भाग लेने का आग्रह किया, चाहे वे सहमत हों या असहमत। बिड़ला ने 18वीं लोकसभा में रचनात्मक सोच और उच्च संसदीय परंपराओं की आवश्यकता पर जोर दिया।
गरिमामय चर्चाओं की अपील
बिड़ला ने सरकारी नीतियों और निर्णयों की सकारात्मक आलोचना करने का आह्वान किया, बिना पूर्व नियोजित व्यवधानों के। उन्होंने संसद में शिष्टाचारपूर्ण आचरण और सार्थक संवाद के महत्व पर जोर दिया।
1975 की आपातकाल की समीक्षा
बिड़ला ने 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल की आलोचना की, इसे भारत के इतिहास का एक काला अध्याय बताया। उन्होंने उस अवधि के दौरान लोकतांत्रिक मूल्यों और स्वतंत्रताओं के दमन को उजागर किया।
आभार और भविष्य की दृष्टि
बिड़ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी नेताओं और सांसदों का समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने 281 नए सांसदों का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि वे संसदीय परंपराओं का पालन करेंगे। बिड़ला ने चुनाव आयोग की निष्पक्ष चुनाव संचालन के लिए भी प्रशंसा की।
संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता
बिड़ला ने विश्वास व्यक्त किया कि 18वीं लोकसभा संविधान की रक्षा और संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखेगी। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में शुरू किए गए ‘अपने संविधान को जानें’ अभियान के महत्व को भी उजागर किया।
चुनाव प्रक्रिया
प्रोटेम स्पीकर भरतृहरि महताब ने चुनाव प्रक्रिया का संचालन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिड़ला के चुनाव के लिए प्रस्ताव रखा, जिसका समर्थन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। मतदान के बाद, ओम बिड़ला को 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में घोषित किया गया। नेताओं, जिनमें प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी शामिल थे, ने बिड़ला को उनके पुन: चुनाव पर बधाई दी।