भारत ने नए आपराधिक कानूनों को लागू किया: न्याय, सुरक्षा और साक्ष्य में सुधार

भारत ने नए आपराधिक कानूनों को लागू किया: न्याय, सुरक्षा और साक्ष्य में सुधार

भारत ने नए आपराधिक कानूनों को लागू किया

भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम

नई दिल्ली [भारत], 1 जुलाई: आज से भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, क्योंकि तीन नए कानून लागू हो गए हैं: भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)। ये कानून 1860 के भारतीय दंड संहिता (IPC), 1973 के आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।

ये नए कानून 21 दिसंबर 2023 को संसद द्वारा पारित किए गए थे और 25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई थी। इनका उद्देश्य त्वरित न्याय प्रदान करना और न्यायिक प्रणाली में सुधार करना है। भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं, जिनमें 20 नए अपराध जोड़े गए हैं और कई अन्य अपराधों के लिए दंड बढ़ाए गए हैं। इसमें ‘महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध’ पर एक नया अध्याय भी शामिल है और आतंकवाद को एक दंडनीय अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं, जिनमें 177 बदलाव और नए प्रावधान शामिल हैं ताकि त्वरित न्याय सुनिश्चित किया जा सके। भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं, जिनमें साक्ष्य प्रणाली में सुधार के लिए बदलाव किए गए हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन बदलावों की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि त्वरित न्याय प्रदान किया जा सके। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं ने परामर्श की कमी और नए कानूनों के संभावित दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है।

दिल्ली पुलिस ने अपने अधिकारियों को इन नए कानूनों के अनुकूल बनाने के लिए प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है, ताकि वे इन बदलावों के लिए अच्छी तरह से तैयार हो सकें।

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