जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक कार्यकर्ता जावेद बेग ने पाकिस्तान के वार्षिक कश्मीर एकजुटता दिवस की कड़ी आलोचना की है, जो 5 फरवरी को मनाया जाता है। बेग ने इस आयोजन को एक स्वार्थी प्रचार उपकरण बताया, जिसका जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए कोई वास्तविक महत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस दिन का उपयोग अपने नागरिकों को कश्मीर मुद्दे पर एकजुट करने के लिए करता है, जबकि कश्मीरी जनता की वास्तविक चिंताओं को नजरअंदाज करता है।
बेग ने कहा कि अधिकांश कश्मीरी, चाहे वे मुस्लिम हों या गैर-मुस्लिम, पाकिस्तान के इस दिन के प्रति उदासीन हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 1990 के दशक के तीव्र संघर्ष के दौरान भी कश्मीरी मुसलमानों ने पाकिस्तान के एकजुटता के आह्वान का समर्थन नहीं किया। बेग ने धार्मिक उग्रवादी संगठनों की आलोचना की, जो 'कश्मीर जिहाद' के नाम पर धन इकट्ठा करते हैं और ब्रिटेन में मीरपुरी मुस्लिम लॉबी की भी आलोचना की, जो ब्रिटिश सांसदों को भारत विरोधी बयान देने के लिए प्रभावित करती है।
बेग ने पाकिस्तान पर कश्मीर के बारे में अपने नागरिकों को गुमराह करने और क्षेत्र में आतंकवाद और धार्मिक उग्रवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान ने पाकिस्तान-ओक्यूपाइड जम्मू और कश्मीर (PoJK) में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर स्थापित किए हैं ताकि भारत के जम्मू और कश्मीर में आतंकवादियों को भेजा जा सके। बेग ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान इस दिन का उपयोग अपने लोगों के बीच हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए करता है।
जावेद बेग जम्मू और कश्मीर से एक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, जो भारत का एक क्षेत्र है। कार्यकर्ता वे लोग होते हैं जो राजनीतिक या सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए काम करते हैं।
कश्मीर एकजुटता दिवस पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के लोगों के समर्थन के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य कश्मीरियों के साथ एकजुटता व्यक्त करना है, लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि इसका उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
प्रचार वह जानकारी है, जो अक्सर पक्षपाती या भ्रामक होती है, जिसका उपयोग किसी विशेष राजनीतिक कारण या दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग लोगों की राय को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है।
आतंकवाद हिंसा और धमकियों का उपयोग करके डराने या मजबूर करने को संदर्भित करता है, विशेष रूप से राजनीतिक उद्देश्यों के लिए। यह एक गंभीर मुद्दा है जो कई देशों को प्रभावित करता है, जिसमें भारत भी शामिल है।
धार्मिक उग्रवाद तब होता है जब लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं को चरम स्तर तक ले जाते हैं, जो अक्सर हिंसा या उन लोगों के खिलाफ घृणा की ओर ले जाता है जो समान मान्यताओं को साझा नहीं करते। यह संघर्षों का कारण बन सकता है और समुदायों को नुकसान पहुंचा सकता है।
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