संयुक्त राष्ट्र ने कहा इमरान खान की गिरफ्तारी अनुचित और राजनीतिक थी

संयुक्त राष्ट्र ने कहा इमरान खान की गिरफ्तारी अनुचित और राजनीतिक थी

संयुक्त राष्ट्र ने कहा इमरान खान की गिरफ्तारी अनुचित और राजनीतिक थी

संयुक्त राष्ट्र के मनमानी हिरासत पर कार्य समूह ने कहा है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के संस्थापक इमरान खान की गिरफ्तारी और अभियोजन कानूनी आधार के बिना और राजनीतिक रूप से प्रेरित थे। समूह ने बताया कि ये कार्रवाइयाँ उन्हें राजनीतिक क्षेत्र से बाहर करने के लिए की गई थीं।

मामलों का विवरण

इमरान खान को दो तोशाखाना मामलों का सामना करना पड़ा। पहले मामले में, उन पर प्रधानमंत्री रहते हुए प्राप्त उपहारों का विवरण छिपाने का आरोप था। दूसरे मामले में, उन पर और उनकी पत्नी बुशरा बीबी पर सऊदी क्राउन प्रिंस से प्राप्त एक आभूषण सेट को कम मूल्य पर रखने का आरोप था।

पिछले साल 5 अगस्त को, इस्लामाबाद की एक ट्रायल कोर्ट ने पहले तोशाखाना मामले में इमरान खान को दोषी ठहराया, जिससे उन्हें तीन साल की जेल की सजा हुई। उसी दिन पंजाब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पाकिस्तान चुनाव आयोग (ECP) ने उन्हें पांच साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया, लेकिन इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने बाद में उनकी सजा को निलंबित कर दिया।

संयुक्त राष्ट्र की निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र समूह ने इमरान खान के खिलाफ अदालत की कार्यवाही में कई कानूनी असंगतियों को पाया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि उनकी गिरफ्तारी का उद्देश्य उन्हें राजनीतिक पद के लिए अयोग्य ठहराना था। समूह ने यह भी नोट किया कि सिफर मामले में उनका अभियोजन कानूनी आधार से रहित था।

संयुक्त राष्ट्र समूह ने देखा कि अभियोजन की समयबद्धता का उद्देश्य इमरान खान को नवंबर 2023 में होने वाले आम चुनाव में भाग लेने से रोकना था। उन्होंने कहा कि अभियोजन उनके PTI नेतृत्व से संबंधित प्रतीत होते हैं और उन्हें और उनके समर्थकों को चुप कराने के लिए किए गए थे।

सिफारिशें

संयुक्त राष्ट्र समूह ने सरकार को इमरान खान को तुरंत रिहा करने और उन्हें मुआवजा देने की सिफारिश की। उन्होंने उनकी गिरफ्तारी की परिस्थितियों की पूरी और स्वतंत्र जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की भी मांग की।

वर्तमान स्थिति

इमरान खान वर्तमान में इद्दत मामले के लिए अडियाला जेल में हैं। तोशाखाना मामलों में उनकी सजा निलंबित कर दी गई थी, और इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें सिफर मामले में बरी कर दिया।

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