2024 में भारत की खुदरा महंगाई: बढ़ती खाद्य कीमतें और मानसून का प्रभाव
भारत की खुदरा महंगाई, जिसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) से मापा जाता है, 2024-25 के अधिकांश समय में 5% के आसपास रहने की उम्मीद है, सितंबर को छोड़कर। जून में खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण यह 5.08% तक बढ़ गई। ग्रामीण और शहरी महंगाई दर क्रमशः 5.66% और 4.39% थी।
राज्यवार महंगाई दर
राज्य | महंगाई दर |
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ओडिशा | 7.22% |
बिहार | 6.37% |
कर्नाटक | 5.98% |
ओडिशा ने 7.22% की सबसे अधिक महंगाई दर दर्ज की, इसके बाद बिहार 6.37% और कर्नाटक 5.98% पर रहे।
खाद्य महंगाई
जून में खाद्य महंगाई लगभग दोगुनी होकर 8.36% हो गई, जबकि 2023 के उसी महीने में यह 4.63% थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अनाज, मांस, अंडे, दूध, तेल, फल, सब्जियां, दालें, चीनी, मसाले, स्नैक्स और मिठाइयों सहित सभी खाद्य खंडों की कीमतें महीने-दर-महीने बढ़ीं।
RBI की भूमिका
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का लक्ष्य महंगाई को 2-6% के भीतर रखना है, आदर्श रूप से 4% पर। हाल के विरामों के बावजूद, RBI ने मई 2022 से महंगाई से निपटने के लिए रेपो दर में 250 आधार अंकों की वृद्धि की है। अगली RBI नीति बैठक अगस्त की शुरुआत में निर्धारित है।
वैश्विक संदर्भ
अमेरिका की महंगाई 3% तक गिर गई, जिससे सितंबर तक फेड दर में कटौती हो सकती है। यह उस समय के आसपास RBI की नीति रुख को प्रभावित कर सकता है।