दिल्ली, जलगांव और अहमदाबाद में ED की छापेमारी में 7.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का खुलासा
मुंबई में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली, जलगांव और अहमदाबाद में कई स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। ये छापेमारी ज्ञानरद्धा मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (DMCSL) और इसके अध्यक्ष सुरेश कुटे समेत अन्य के खिलाफ चल रही जांच का हिस्सा थी।
ये छापेमारी शुक्रवार और शनिवार को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) 2002 के तहत की गई। इन अभियानों के दौरान, ED ने लगभग 7.5 करोड़ रुपये की चल संपत्तियों को फ्रीज कर दिया, जिसमें बैंक फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट और डिमैट अकाउंट होल्डिंग्स शामिल हैं। विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण भी जब्त किए गए।
जांच मई और जुलाई 2024 के बीच महाराष्ट्र के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज कई FIRs के बाद शुरू हुई। ये FIRs भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 और महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा अधिनियम (MPID) 1999 के विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थीं, जो सुरेश कुटे और अन्य द्वारा DMCSL के माध्यम से की गई धोखाधड़ी से संबंधित थीं।
FIRs के अनुसार, निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की अनुमानित राशि लगभग 168 करोड़ रुपये है। DMCSL, जिसे सुरेश ज्ञानोबराव कुटे, यशवंत वी कुलकर्णी और अन्य द्वारा प्रबंधित किया गया था, ने 12% से 14% के उच्च रिटर्न का वादा करते हुए विभिन्न जमा योजनाएं चलाईं। हालांकि, निवेशकों को धोखा दिया गया और उनके फंड को प्रबंधन द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए गबन किया गया।
ED की जांच में पता चला कि सुरेश कुटे ने दिब्यायन दास शर्मा के साथ मिलकर M/s. Minventa Research, Luxembourg से पांच वर्षों में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश दिखाने वाले झूठे दस्तावेज तैयार किए थे। ये धोखाधड़ी दस्तावेज DMCSL निवेशकों के बीच वितरित किए गए थे ताकि वे कानूनी कार्रवाई न करें और उन्हें झूठा आश्वासन दिया गया कि सभी निवेशकों को भुगतान किया जाएगा।
ये झूठे दस्तावेज विभिन्न न्यायिक मंचों, जैसे उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) के समक्ष प्रस्तुत किए गए थे ताकि अधिकारियों को गुमराह किया जा सके और कुटे समूह को वित्तीय रूप से सॉल्वेंट दिखाया जा सके।
इससे पहले, 9 अगस्त 2024 को, ED ने इस मामले में तलाशी अभियान चलाया था, जिसमें लगभग 1.73 करोड़ रुपये की चल संपत्तियों को फ्रीज कर दिया गया था और विभिन्न अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए थे। इस मामले में कुल जब्ती अब लगभग 9.2 करोड़ रुपये हो गई है।
Doubts Revealed
ईडी -: ईडी का मतलब प्रवर्तन निदेशालय है। यह भारत में एक सरकारी एजेंसी है जो मनी लॉन्ड्रिंग जैसे वित्तीय अपराधों की जांच करती है।
छापे -: छापे पुलिस या अन्य अधिकारियों द्वारा अचानक दौरे होते हैं ताकि अवैध गतिविधियों या सबूतों की खोज की जा सके।
दिल्ली -: दिल्ली भारत की राजधानी है।
जलगांव -: जलगांव महाराष्ट्र राज्य में एक शहर है, भारत।
अहमदाबाद -: अहमदाबाद गुजरात राज्य में एक प्रमुख शहर है, भारत।
रु. 7.5 करोड़ -: रु. 7.5 करोड़ का मतलब 75 मिलियन भारतीय रुपये है। यह एक बड़ी राशि है।
धोखाधड़ी -: धोखाधड़ी तब होती है जब कोई व्यक्ति दूसरों को पैसे या कुछ मूल्यवान चीज़ प्राप्त करने के लिए धोखा देता है।
ज्ञानरद्धा मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी -: ज्ञानरद्धा मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी एक वित्तीय संगठन है जो भारत के कई राज्यों में काम करता है।
अध्यक्ष -: अध्यक्ष एक संगठन या कंपनी का नेता या प्रमुख होता है।
सुरेश कुटे -: सुरेश कुटे ज्ञानरद्धा मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष का नाम है।
मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम -: यह भारत में एक कानून है जो मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने में मदद करता है, जो यह छिपाने का प्रयास है कि पैसा वास्तव में कहां से आया है।
संपत्तियां -: संपत्तियां वे चीजें होती हैं जिनकी मूल्य होती है, जैसे पैसा, संपत्ति, या निवेश।
जब्ती -: जब्ती का मतलब है बलपूर्वक कुछ लेना, आमतौर पर कानून प्रवर्तन द्वारा।
अपराधी दस्तावेज -: ये वे कागजात होते हैं जो दिखाते हैं कि किसी ने कुछ अवैध किया हो सकता है।
निवेशक -: निवेशक वे लोग होते हैं जो पैसे को किसी चीज़ में लगाते हैं ताकि और अधिक पैसा कमा सकें।