विदेश मंत्री एस जयशंकर 24 से 29 दिसंबर तक अमेरिका की यात्रा पर रहेंगे। इस दौरान वे द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, वे अमेरिका में भारतीय कौंसुल जनरलों के सम्मेलन की अध्यक्षता भी करेंगे।
विदेश मंत्रालय ने इन बैठकों के महत्व को रेखांकित किया है। वहीं, भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने अमेरिका-भारत साझेदारी की संभावनाओं पर जोर दिया। उन्होंने टैरिफ को कम करने, व्यापार बढ़ाने और समान अवसर सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
गार्सेटी ने भारत की कार्यबल की प्रशंसा की और इसे एक असाधारण संसाधन बताया। उन्होंने दोनों देशों के बीच विश्वास और पारदर्शिता के प्रति नए सिरे से प्रतिबद्धता की मांग की। उन्होंने अमेरिकी वैज्ञानिक और वित्तीय विशेषज्ञता को भारत की जमीनी सूझबूझ के साथ मिलाकर शक्तिशाली पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का सुझाव दिया।
एस जयशंकर भारत के विदेश मंत्री हैं, जिसका मतलब है कि वे भारत के अन्य देशों के साथ संबंधों को प्रबंधित करने के लिए जिम्मेदार हैं।
अमेरिका यात्रा का मतलब है कि एस जयशंकर संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा कर रहे हैं ताकि वहां के लोगों से मिल सकें और महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा कर सकें।
भारतीय कौंसल जनरल वे अधिकारी होते हैं जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, भारतीय नागरिकों की मदद करते हैं और भारत के हितों को बढ़ावा देते हैं।
एरिक गार्सेटी भारत में अमेरिकी राजदूत हैं, जिसका मतलब है कि वे भारत में संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रतिनिधित्व करते हैं और दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए काम करते हैं।
शुल्क वे कर होते हैं जो देश अन्य देशों से आने वाले सामानों पर लगाते हैं। शुल्क कम करने से देशों के बीच चीजों को खरीदने और बेचने में सस्ता हो सकता है।
व्यापार देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं की खरीद और बिक्री है। व्यापार बढ़ाने का मतलब है भारत और अमेरिका के बीच अधिक व्यवसाय और आर्थिक गतिविधि।
पारदर्शिता का मतलब है कार्यों और निर्णयों के बारे में खुला और ईमानदार होना, जो देशों के बीच विश्वास बनाने में मदद करता है।
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