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दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़ी, कई क्षेत्रों में AQI 330 से अधिक

दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़ी, कई क्षेत्रों में AQI 330 से अधिक

दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़ी

गुरुवार को भारत की राजधानी नई दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आ गई, जहां कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 330 से अधिक दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने आनंद विहार (392) और अशोक विहार (350) सहित विभिन्न स्थानों पर उच्च AQI स्तर की रिपोर्ट की।

मौसम और प्रदूषण की चिंताएं

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने तापमान 19 से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का पूर्वानुमान लगाया। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की, इसे हरियाणा और पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों से पराली जलाने से उठने वाले धुएं के कारण उत्तर-पश्चिमी हवाओं के साथ जोड़कर देखा।

सरकारी प्रतिक्रिया

मंत्री राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखने की योजना बनाई है ताकि इस मुद्दे पर चर्चा की जा सके, जिसमें आईआईटी कानपुर द्वारा कृत्रिम वर्षा अनुसंधान शामिल है। उन्होंने पड़ोसी राज्यों से प्रतिकूल मौसम के दौरान दिल्ली में डीजल वाहनों को न भेजने का आग्रह किया।

विशेषज्ञों की राय

आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर सग्निक डे सहित विशेषज्ञों ने बताया कि अक्टूबर और नवंबर में पराली जलाना प्रदूषण में 25-30% योगदान देता है, लेकिन वार्षिक रूप से यह केवल 6-8% होता है। वे साल भर में कई प्रदूषण स्रोतों को संबोधित करने पर जोर देते हैं।

पर्यावरणीय प्रभाव

प्रदूषण ने यमुना नदी को भी प्रभावित किया है, जहां कालिंदी कुंज में जहरीला झाग देखा गया।

Doubts Revealed


वायु गुणवत्ता -: वायु गुणवत्ता यह बताती है कि हवा कितनी स्वच्छ या प्रदूषित है। इसे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का उपयोग करके मापा जाता है, जो हमें बताता है कि हवा सांस लेने के लिए कितनी सुरक्षित या हानिकारक है।

AQI -: AQI का मतलब वायु गुणवत्ता सूचकांक है। यह एक संख्या है जिसका उपयोग यह बताने के लिए किया जाता है कि हवा वर्तमान में कितनी प्रदूषित है या भविष्य में कितनी प्रदूषित होने की संभावना है। उच्च AQI का मतलब अधिक प्रदूषण और अधिक स्वास्थ्य चिंता है।

गोपाल राय -: गोपाल राय भारत में एक राजनेता हैं जो दिल्ली के पर्यावरण मंत्री हैं। वह शहर में पर्यावरण के प्रबंधन और संरक्षण के लिए जिम्मेदार हैं।

पराली जलाना -: पराली जलाना वह प्रथा है जिसमें धान और गेहूं जैसी फसलों की कटाई के बाद बचे हुए भूसे को जलाया जाता है। किसान इसे खेत को जल्दी साफ करने के लिए करते हैं, लेकिन यह बहुत अधिक वायु प्रदूषण का कारण बनता है।

कृत्रिम वर्षा -: कृत्रिम वर्षा एक प्रक्रिया है जिसमें बादलों में रसायनों का छिड़काव किया जाता है ताकि वे वर्षा उत्पन्न करें। यह हवा से प्रदूषण को साफ करने में मदद कर सकता है क्योंकि यह उसे जमीन पर धो देता है।

यमुना नदी -: यमुना नदी भारत की प्रमुख नदियों में से एक है, जो दिल्ली सहित कई राज्यों से होकर बहती है। हवा में प्रदूषण नदियों जैसे यमुना की जल गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकता है।
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