दिल्ली में प्रदूषण का कहर: निवासियों ने सरकार से की कार्रवाई की मांग
नई दिल्ली में प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए निवासियों ने सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। दिवाली के बाद से लगातार दूसरे सप्ताह एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना हुआ है। कई क्षेत्रों में धुंध छाई हुई है, जिससे सांस लेने में कठिनाई हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 355 का AQI दर्ज किया है, जो ‘बहुत खराब’ वायु गुणवत्ता को दर्शाता है।
निवासियों की आवाज
साइकिल चालक वरुण ने बताया कि इस समय के दौरान प्रदूषण में वृद्धि होती है, जिसका कारण केवल पटाखे नहीं बल्कि पराली जलाना भी है। एक अन्य निवासी अंकित सचदेवा ने सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर दिया।
वर्तमान AQI स्तर
स्थान | AQI |
---|---|
अशोक विहार | 390 |
द्वारका सेक्टर 8 | 367 |
DTU | 366 |
जहांगीरपुरी | 417 |
लोधी रोड | 313 |
मुंडका | 404 |
नजफगढ़ | 355 |
नरेला | 356 |
आनंद विहार | 403 |
प्रतापगंज | 371 |
पुसा | 320 |
आरके पुरम | 365 |
रोहिणी | 415 |
शादीपुर | 359 |
विवेक विहार | 385 |
सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है। अदालत ने दिवाली के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने में विफलता की आलोचना की, यह कहते हुए कि यह नागरिकों के स्वास्थ्य अधिकारों को प्रभावित करता है।
Doubts Revealed
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) -: AQI एक संख्या है जिसका उपयोग यह बताने के लिए किया जाता है कि हवा कितनी स्वच्छ या प्रदूषित है। यह लोगों को हवा में प्रदूषण के स्तर और इसके संभावित स्वास्थ्य प्रभावों को समझने में मदद करता है। उच्च AQI का मतलब अधिक प्रदूषण और अधिक स्वास्थ्य चिंताएँ होती हैं।
पराली जलाना -: पराली जलाना वह प्रथा है जिसमें धान और गेहूं जैसी फसलों की कटाई के बाद बचे हुए भूसे को जलाया जाता है। यह भारत के कुछ हिस्सों में आम है और वायु प्रदूषण में योगदान देता है।
धुंध -: धुंध एक प्रकार का वायु प्रदूषण है जो मोटे कोहरे जैसा दिखता है। यह धुएं और कोहरे के मिश्रण से उत्पन्न होता है, अक्सर वाहन उत्सर्जन और औद्योगिक धुएं से, और यह सांस लेना कठिन बना सकता है।
अनुच्छेद 21 -: अनुच्छेद 21 भारतीय संविधान का एक हिस्सा है जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित करता है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इसे स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार के रूप में व्याख्यायित किया है।
पटाखा प्रतिबंध -: पटाखा प्रतिबंध का मतलब पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध है, विशेष रूप से दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान, वायु प्रदूषण को कम करने के लिए। प्रतिबंध के बावजूद, इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
सर्वोच्च न्यायालय -: सर्वोच्च न्यायालय भारत की सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण है। यह कानूनी और संवैधानिक मामलों पर महत्वपूर्ण निर्णय लेता है, जिनमें पर्यावरण संरक्षण से संबंधित मामले भी शामिल हैं।