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सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के दंगों के मामले में अदालत का फैसला सुरक्षित

सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के दंगों के मामले में अदालत का फैसला सुरक्षित

सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के दंगों के मामले में अदालत का फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली की राउस एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह फैसला 29 नवंबर को आने की उम्मीद है। यह मामला 1 नवंबर 1984 को सरस्वती विहार क्षेत्र में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की मौत से संबंधित है।

कानूनी कार्यवाही

विशेष न्यायाधीश कावेरी बवेजा ने सज्जन कुमार के वकील अनिल शर्मा और अतिरिक्त लोक अभियोजक मनीष रावत की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा। अदालत ने शिकायतकर्ता की ओर से वकील कामना वोहरा को दो दिनों के भीतर लिखित दलीलें प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

प्रस्तुत दलीलें

वकील अनिल शर्मा ने तर्क दिया कि सज्जन कुमार का नाम शुरू में नहीं लिया गया था और एक गवाह द्वारा उनका नाम लेने में 16 साल की देरी हुई। उन्होंने यह भी बताया कि संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए लंबित है। अतिरिक्त लोक अभियोजक मनीष रावत ने इसका विरोध करते हुए कहा कि पीड़ित ने सज्जन कुमार की पहचान बाद में उनके बारे में जानने के बाद की।

मामले का संदर्भ

दंगों के पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने तर्क दिया कि पुलिस जांच को आरोपियों की रक्षा के लिए प्रभावित किया गया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि दंगे एक बड़े नरसंहार का हिस्सा थे, जिसमें 1984 में दिल्ली में 2700 सिख मारे गए थे, और दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला दिया जिसमें दंगों को मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया गया था।

जांच विवरण

मामला पहले पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था और बाद में जस्टिस जीपी माथुर की समिति की सिफारिशों के आधार पर एक विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच की गई। सज्जन कुमार के खिलाफ दिसंबर 2021 में हत्या और आगजनी सहित विभिन्न अपराधों के लिए आरोप तय किए गए थे। एसआईटी ने आरोप लगाया कि सज्जन कुमार ने हत्याओं और विनाश के लिए जिम्मेदार भीड़ का नेतृत्व किया। गवाहों के बयान दर्ज किए गए, जिसमें लूटपाट, आगजनी और पीड़ितों की हत्या का विवरण था।

Doubts Revealed


कोर्ट रिजर्व्स जजमेंट -: जब एक कोर्ट रिजर्व्स जजमेंट करती है, इसका मतलब है कि जज ने सभी तर्क और सबूत सुन लिए हैं लेकिन अंतिम निर्णय लेने से पहले और समय चाहिए।

सज्जन कुमार -: सज्जन कुमार भारत में कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद हैं। उन पर 1984 के सिख विरोधी दंगों में शामिल होने का आरोप है।

सिख विरोधी दंगे -: सिख विरोधी दंगे 1984 में भारत में सिखों के खिलाफ हिंसक हमलों की एक श्रृंखला थी, विशेष रूप से दिल्ली में, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद।

राउस एवेन्यू कोर्ट -: राउस एवेन्यू कोर्ट नई दिल्ली, भारत में एक कोर्ट कॉम्प्लेक्स है, जहां विभिन्न कानूनी मामलों की सुनवाई और निर्णय होते हैं।

विशेष जांच दल -: विशेष जांच दल (SIT) पुलिस अधिकारियों या जांचकर्ताओं का एक समूह होता है जो गंभीर मामलों की जांच के लिए गठित किया जाता है, अक्सर जटिल या संवेदनशील मुद्दों से संबंधित।

आरोप तय -: जब आरोप तय होते हैं, इसका मतलब है कि कोर्ट ने आधिकारिक रूप से यह बताया है कि आरोपी व्यक्ति पर कौन से अपराधों का आरोप लगाया जा रहा है, प्रस्तुत सबूतों के आधार पर।

हत्या और आगजनी -: हत्या एक व्यक्ति की गैरकानूनी हत्या है, और आगजनी संपत्ति में जानबूझकर आग लगाने का आपराधिक कृत्य है।
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