चीन ने हाल ही में होटान प्रांत में दो नए काउंटियों की स्थापना की है, जिसमें अक्साई चिन क्षेत्र के कुछ हिस्से शामिल हैं। इस कदम से भारतीय अधिकारियों में चिंता बढ़ गई है। विदेश मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेवा ने बताया कि यह चीन की रणनीति का हिस्सा है, जिससे वह इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि चीन भारत के साथ संबंध सुधारने में रुचि नहीं रखता और इसके बजाय संघर्ष को बनाए रख रहा है।
सचदेवा ने चीन की इस कार्रवाई के प्रभावों पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से यारलुंग त्संगपो नदी पर प्रस्तावित बांध के संदर्भ में, जिसे भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है। यह परियोजना चीन को जल प्रवाह को नियंत्रित करने की अनुमति दे सकती है, जिससे अरुणाचल प्रदेश और असम में जल उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन के नए काउंटियों की स्थापना के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया है, यह कहते हुए कि भारत इस क्षेत्र पर चीन के कब्जे को मान्यता नहीं देता। मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि इन काउंटियों की स्थापना से इस क्षेत्र पर भारत की संप्रभुता के दावे में कोई बदलाव नहीं होगा।
चीनी मीडिया ने बताया कि शिनजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र ने होटान प्रांत में हे'आन काउंटी और हे'कांग काउंटी की स्थापना की घोषणा की है।
होटन प्रीफेक्चर चीन में एक क्षेत्र है, जो शिनजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है। यह अपने रेगिस्तानों और प्राचीन रेशम मार्ग पर ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
अक्साई चिन भारत और चीन के बीच एक विवादित क्षेत्र है। यह एक उच्च-ऊंचाई वाला रेगिस्तानी क्षेत्र है, और दोनों देश इसे अपने क्षेत्र का हिस्सा मानते हैं।
यारलुंग त्संगपो नदी एक प्रमुख नदी है जो चीन के तिब्बत से होकर बहती है। जब यह भारत में प्रवेश करती है, तो इसे ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जाना जाता है, और यह जल आपूर्ति और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।
विदेश मंत्रालय भारतीय सरकार का एक हिस्सा है जो भारत के विदेशी संबंधों और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का प्रबंधन करता है।
हे'आन और हे'कांग वे दो नए काउंटी के नाम हैं जो चीन ने होटन प्रीफेक्चर में स्थापित किए हैं। इन काउंटियों में विवादित अक्साई चिन क्षेत्र के कुछ हिस्से शामिल हैं।
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