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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: मुस्लिम महिलाएं अब मांग सकती हैं भरण-पोषण

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: मुस्लिम महिलाएं अब मांग सकती हैं भरण-पोषण

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: मुस्लिम महिलाएं अब मांग सकती हैं भरण-पोषण

नई दिल्ली, भारत – सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिसमें मुस्लिम महिलाओं को उनके पतियों से भरण-पोषण मांगने की अनुमति दी गई है। यह फैसला मुस्लिम महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण राहत के रूप में देखा जा रहा है।

शाज़िया इल्मी की प्रतिक्रिया

बीजेपी नेता शाज़िया इल्मी ने इस फैसले की सराहना की और इसे सभी मुस्लिम महिलाओं के लिए राहत बताया। उन्होंने समझाया कि अब कोई भी तलाकशुदा मुस्लिम महिला धारा 125 CrPC के तहत भरण-पोषण भत्ता मांग सकती है, और इसे पूरा करना अनिवार्य होगा। इल्मी ने जोर देकर कहा कि यह कोई दान नहीं है बल्कि तलाकशुदा महिलाओं का कानूनी अधिकार है।

ऐतिहासिक संदर्भ

इल्मी ने यह भी बताया कि 1985 में एक समान फैसला दिया गया था, लेकिन राजीव गांधी की सरकार ने ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड के दबाव में इसे पलट दिया था। उन्होंने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अपराध घोषित किया है और तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं 2019 के विवाह अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत भी सुरक्षा मांग सकती हैं।

कानूनी दृष्टिकोण

सुप्रीम कोर्ट की वकील मनीषा चावा ने समझाया कि अदालत ने फैसला किया कि व्यक्तिगत कानून धर्मनिरपेक्ष कानूनों को ओवरराइड नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिला (तलाक के अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 में उपाय हैं, लेकिन वे CrPC के प्रावधानों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। चावा ने जोर देकर कहा कि यह भरण-पोषण दान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि आर्थिक संकट का सामना कर रही महिलाओं के लिए समर्थन के रूप में देखा जाना चाहिए।

महिलाओं का सशक्तिकरण

पति का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एस वसीम ए कादरी ने इस फैसले को महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला केवल तलाकशुदा या मुस्लिम महिलाओं तक सीमित नहीं है बल्कि सभी महिलाओं पर लागू होता है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। सुप्रीम कोर्ट ने गृहिणियों की भूमिका और बलिदानों को मान्यता देने के महत्व पर जोर दिया और पुरुषों से संयुक्त खातों और एटीएम के माध्यम से वित्तीय समर्थन प्रदान करने का आग्रह किया।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट के बुधवार के फैसले ने पुष्टि की कि धारा 125 CrPC सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है, जिसमें मुस्लिम विवाहित महिलाएं भी शामिल हैं, जो अपने पतियों से भरण-पोषण मांग सकती हैं। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह ने इस कानूनी अधिकार को भारतीय परिवारों में गृहिणियों के वित्तीय समर्थन और मान्यता के लिए महत्वपूर्ण बताया।

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