असम के मुख्यमंत्री ने लाओखोवा वन्यजीव अभयारण्य में शिकारियों की मौत की जांच के आदेश दिए
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने मुख्य सचिव को लाओखोवा वन्यजीव अभयारण्य में दो संदिग्ध शिकारियों, समरुद्दीन (35) और अब्दुल जलिल (40), की मौत की जांच करने का निर्देश दिया है। यह घटना तब हुई जब वन रक्षकों और सुतिरपार गांव के सशस्त्र घुसपैठियों के बीच मुठभेड़ हुई। वन रक्षकों ने आत्मरक्षा में गोली चलाई, जिससे इनकी मौत हो गई।
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह घटना 22 जून को रात 1:00 बजे के करीब सराइहागी एंटी-पोचिंग कैंप्स के पास हुई। गैंडे की सुरक्षा में लगी वन गश्ती टीम ने रौमारी बील के पास 20 सशस्त्र घुसपैठियों के एक समूह का सामना किया। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व की निदेशक सोनाली घोष ने बताया कि घुसपैठियों ने तेज हथियारों से हमला किया, जिससे वन टीम ने आत्मरक्षा में गोली चलाई।
दोनों घायल घुसपैठियों को नागांव सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। वन विभाग ने एफआईआर दर्ज कराई है और पुलिस और मजिस्ट्रेट जांच शुरू कर दी गई है। यह क्षेत्र गैंडे का प्रमुख आवास है और यहां शिकार और अवैध गतिविधियों का इतिहास रहा है। वन विभाग ने सीमाओं को मजबूत किया है और कड़ी निगरानी रखी है, जिससे पिछले साल अक्टूबर से ओरंग टाइगर रिजर्व से 2-3 गैंडों का रौमारी क्षेत्र में प्रवास हुआ है। वर्तमान में, पुलिस और वन विभाग के कर्मचारी कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए साइट पर डेरा डाले हुए हैं।