कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पर जनरल अनिल चौहान ने युद्ध के बदलते स्वरूप पर चर्चा की

कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पर जनरल अनिल चौहान ने युद्ध के बदलते स्वरूप पर चर्चा की

कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पर जनरल अनिल चौहान ने युद्ध के बदलते स्वरूप पर चर्चा की

नई दिल्ली, भारत – चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने तकनीक के कारण युद्ध में हो रहे तेजी से बदलाव और सशस्त्र बलों के अनुकूलन की आवश्यकता पर बात की। उन्होंने ऑपरेशन विजय के तहत ‘टाइगर हिल की लड़ाई’ की सिल्वर जुबली स्मरण समारोह के दौरान 18 ग्रेनेडियर्स के सेना अधिकारियों, जूनियर कमीशंड अधिकारियों (जेसीओ) और सैनिकों को संबोधित किया।

परिवर्तन का महत्व

जनरल चौहान ने महाभारत के भगवान कृष्ण और दार्शनिक हेराक्लिटस का हवाला देते हुए कहा कि परिवर्तन एक स्थायी प्रक्रिया है। उन्होंने चार्ल्स डार्विन के विकास के सिद्धांत का भी उल्लेख किया, यह बताते हुए कि अनुकूलन केवल प्रजातियों के लिए ही नहीं बल्कि संगठनों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

वीरों की याद

जनरल चौहान ने टोलोलिंग और टाइगर हिल की लड़ाइयों में सैनिकों की बहादुरी को याद किया, जो कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण थीं। उन्होंने उन सैनिकों को सम्मानित किया जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी और सशस्त्र बलों द्वारा अर्जित विश्वास और प्रतिष्ठा को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया।

आधुनिक युद्ध

उन्होंने बहु-डोमेन युद्ध की अवधारणा पर चर्चा की, जिसमें पारंपरिक डोमेन जैसे भूमि, समुद्र और वायु के अलावा साइबर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम और अंतरिक्ष डोमेन शामिल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सशस्त्र बलों को अपनी बढ़त बनाए रखने के लिए इन परिवर्तनों को अपनाना चाहिए।

कारगिल युद्ध की विरासत

1999 का कारगिल युद्ध भारत के लिए एक निर्णायक क्षण था, जिसने भारतीय सेना की वीरता और रणनीति को प्रदर्शित किया। 18 ग्रेनेडियर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, 52 सम्मान अर्जित किए, जिसमें एक परमवीर चक्र भी शामिल है। टोलोलिंग और टाइगर हिल की लड़ाइयाँ भारत की दृढ़ता और संकल्प के प्रतीक हैं।

कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ भारतीय सेना द्वारा किए गए बलिदानों की याद दिलाती है और नए चुनौतियों के सामने सतर्क और अनुकूल बने रहने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

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