उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए नई पहल शुरू
शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और भारतीय भाषा समिति ने उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए तीन नई पहल शुरू की हैं। ये पहल ‘उच्च शिक्षा के लिए भारतीय भाषा में पाठ्यपुस्तकों की लेखन कार्यशाला’ के दौरान नई दिल्ली में शुरू की गईं।
अस्मिता पहल
उच्च शिक्षा सचिव के. संजय मूर्ति ने ‘अस्मिता’ पहल की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद और मौलिक पुस्तकों के लेखन के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। इसका लक्ष्य पांच वर्षों में 22 भाषाओं में 1,000 पुस्तकों का उत्पादन करना है, जिससे कुल 22,000 पुस्तकें भारतीय भाषा में तैयार होंगी।
बहुभाषा शब्दकोश
एक और पहल ‘बहुभाषा शब्दकोश’ भी शुरू की गई। यह व्यापक शब्दकोश सभी भारतीय भाषाओं के शब्दों के लिए एकल संदर्भ बिंदु के रूप में कार्य करेगा, जो आईटी, उद्योग, अनुसंधान और शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहायक होगा।
रियल-टाइम अनुवाद आर्किटेक्चर
राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच (NETF) ने ‘भारतीय भाषा पारिस्थितिकी तंत्र के लिए रियल-टाइम अनुवाद आर्किटेक्चर’ की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य अनुवाद प्रयासों में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाना है।
कार्यशाला की मुख्य बातें
शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार द्वारा उद्घाटन की गई इस कार्यशाला में 13 नोडल विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भाग लिया। ये विश्वविद्यालय जून 2025 तक कला, विज्ञान और वाणिज्य धाराओं में 12 भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों के विकास का नेतृत्व करेंगे।
UGC के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार और भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष प्रो. चामू कृष्ण शास्त्री ने इन पहलों की सफलता पर विश्वास व्यक्त किया। कार्यशाला का समापन प्रत्येक भाषा में पाठ्यपुस्तक विकास के लिए विस्तृत रिपोर्ट और भविष्य की योजनाओं के साथ हुआ।
समर्थन और प्रतिबद्धता
विभिन्न शैक्षिक और भाषाई संस्थानों के अधिकारियों ने एक प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लिया, जिसमें उपस्थित लोगों के प्रश्नों का उत्तर दिया गया। UGC के उपाध्यक्ष प्रो. दीपक कुमार श्रीवास्तव और UGC के सचिव प्रो. मनीष जोशी ने इन पहलों का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।